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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2632
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत

प्रश्न- महर्षि वेदव्यास के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए, उनकी कृतियों के नाम बताइये।

उत्तर-

महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हस्तिनापुर में हुआ था। उनकी माता का नाम सत्यवती एवं पिता का नाम पराशर था। वेदव्यास जी ने हमारे भारतीय ग्रन्थ जैसे कि महाभारत श्रीभगवत् गीता, अष्टाश पुराण लिखे हैं। यह कहा जाता है कि महाभारत को लिखने के लिए गणेश जी ने उनको कहा था एवं महाभारत में जितनी भी घटनायें लिखित हैं उन घटनाओं को महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी से सुन कर लिखा था। वेदव्यास जी के जीवन से जुडी ये कथा प्रचलित है।

जीवन परिचय - कहा जाता है कि कोई (अज्ञात) राजा वन में शिकार खेलने के लिए गया था, और वहाँ यह एक बगुले का शिकार कर रहा था। यह शिकार (बगुले) को वह अपनी पत्नी को उपहार में देना चाहता था, उसी समय उसकी पत्नी का समाचार आया की मैं आपसे मिलना चाहती राजा ने एक दोनों में वीर्य निकाल कर पक्षी के द्वारा उस दोने को अपनी रानी के पास भिजवा दिया था। परन्तु वह पक्षी जब उड़ रहा था, तभी एक दूसरा पक्षी उसके सामने आ गया और दोनों पक्षियों में लड़ाई होने लगी जिस कारण वह राजा का दिया हुआ दोना एक समुद्र में जा गिरा। जब वह दोना समुद्र में गिरा तब वहाँ ब्रह्मा जी द्वारा श्रापित एक मछली मौजूद थी, उसने उस दोने के वीर्य को पी लिया, तद्पश्चात् उस मछली ने एक पुत्र एवं पुत्री को जन्म दिया। पुत्र को तो राजा अपने साथ ले गया परन्तु पुत्री को वहीं छोड़ गया। अतः उस पुत्री को एक नाविक ने अपने घर पर रख लिया जिसका नाम सत्यवती रखा। मछली के गर्भ से उत्पन्न होने के कारण उससे (मछलाइन्द) दुर्गन्ध आती थी। सत्यवती भी बड़ी होकर नाव चलाने का काम करने लगी।

एक बार सत्यवती की नाद में (पराशर) महर्षि नदी पार करने के लिए आये सत्यवती को देखकर महर्षि ने उससे संभोग करने की इच्छा व्यक्त की, परन्तु सत्यवती ने उनसे कहा कि मैं नाव चलाने वाली हूँ, मेरे शरीर से दुर्गन्ध आती है तथा मैं लज्जाशील हूँ। महर्षि ने कहा- मैं इसका निवारण कर दूँगा। उन्होंने नाव के चारों ओर धुन्ध छाया कर दी तथा सत्यवती के शरीर से आने वाली दुर्गन्ध को सुगन्ध में परिवर्तित कर दिया एवं यह वचन भी दिया कि तुम मेरे साथ संभोग करने के पश्चात् भी कुमारी ही रहोगी। इस प्रकार सत्यवती एवं महर्षि पराशर के समागम से जो पुत्र उत्पन्न हुआ वही वेदव्यास जी थे। महर्षि पराशर सत्यवती को वरदान देकर गये कि तुम्हारे गर्भ से उत्पन्न होने वाली सन्तान अत्यधिक बुद्धिमान एवं त्रिकालदर्शी होगी।

कुछ समयान्तर सत्यवती के गर्भ से एक अद्भुत तेजस्वी पुत्र उत्पन्न हुआ। कुछ ही समय के पश्चात् इस पुत्र ने अपनी माँ से कहा "मैं पर्वतों में जा रहा हूँ वहाँ में तपस्या कर ज्ञान अर्जित करना चाहता हूँ, आपको जब भी मेरी आवश्यकता हो आप मेरा स्मरण करना मैं आपकी सेवा में प्रस्तुत हो जाऊँगा।' इस प्रकार वेदव्यास ने अल्पायु से तप कर तीनो लोको का ज्ञान प्राप्त किया तथा विशिष्ट शक्तियाँ भी प्राप्त की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उनसे कई ग्रन्थ लिखवाये।

महर्षि वेदव्यास का चमत्कारिक परिचय - श्री वेदव्यास जी ईश्वर के अंशावतार माने जाते हैं। उनका जन्म द्वीप में हुआ था, अतः उनका नाम द्वैपायन पड़ा। उनका शरीर श्याम वर्ण था इसलिए कुछ लोग उन्हें बचपन में कृष्ण द्वैपायन भी कहते थे। वेदों का विभाजन करने के कारण उन्हें वेदव्यास कहा जाने लगा। बद्रीवन में निवास करने के कारण बादरायण भी कहलाये।

महर्षि वेदव्यास ने अपनी माता सत्यवती को यह वचन दिया था कि, उन्हें (माता को) जब भी बड़ा संकट होगा, वे उन्हे स्मरण करेगी तो वे उनके समक्ष उपस्थित हो जायेंगे। अतः सत्यवती के सामने जब अपने कुछ और वंश के उत्तराधिकार की रक्षा का भार आ खड़ा हुआ था तब माता सत्यवती ने विचित्रवीर की विधवा रानी अम्बिका और छोटी रानी अम्बालिका को वेदव्यास से नियोग द्वारा पुत्र उत्पन्न करने हेतु तैयार किया। व्यास जी ने माँ से कहा- "सन्तान प्राप्ति के लिए मेरे समक्ष आने वाली रानियाँ मेरे समक्ष सहज रह पायेंगी? मेरा शरीर तप के कारण अत्यन्त काला एवं दुर्गन्ध युक्त है तथा मेरी जटायें अत्यन्त उलझी हुई हैं, यदि रानियाँ सहज ही मेरे समक्ष उपस्थित न हुयीं तो उसका परिणाम अत्यन्त दुष्कर होगा सहज रहने वाले को ही योग्य सन्तान प्राप्त होगी।

बड़ी रानी को माँ के समझाने के बाद भी वह उनके रूप-रंग, गन्ध को देखकर इतनी भयभीत हुईं कि उसने आँखें बन्दकर लीं। व्यास जी ने माता सत्यवती से कहा, "बलवान, विद्वान होने पर भी उत्पन्न होने वाला पुत्र अन्धा होगा। व्यास जी की भविष्यवाणी सत्य साबित हुयी। बड़ी रानी अम्बिका ने धृतराष्ट्र को जन्म दिया तथा दूसरी छोटी रानी अम्बालिका को समझाकर व्यास जी के समक्ष भेजा गया. उसने व्यास जी को देखकर आँखे तो बन्द नहीं की परन्तु उनका रंग-रूप देखकर उसका रंग पीला पड़ गया। व्यास जी ने फिर भविष्यवाणी की कि इसका पुत्र पायवर्ण का होगा। समय अपने पर अम्बालिका ने पाण्डु को जन्म दिया जो अल्पायु थे। दोनों पुत्रों को दोषयुक्त होने के कारण सत्यवती ने तीसरे पुत्र की कामना से एक दासी को वेदव्यास के समक्ष भेजा। दासी ने प्रसन्नतापूर्वक वेदव्यास जी की सेवा की तथा प्रसन्नतापूर्वक समागम किया जिसके परिणामस्वरूप विद्वान, धर्मात्मा पुत्र विदुर का जन्म हुआ। गांधारी के सौ पुत्रो को जन्म देने के पीछे का रहस्य वेदव्यास जी को ही मालूम था।

महार्षि वेदव्यास की भविष्यवाणी एवं आलौकिक शक्तियाँ - पाण्डु की मृत्यु के बाद श्राद्ध के समय वेदव्यास जी ने माता सत्यवती के सामने यह भविष्यवाणी की कि सुख का समय समाप्त हो गया है। कौरवों के सहार को तुम देख न पाओगी। अतः तुम वन चली जाओ। सत्यवती को अपने पुत्र व्यास की अलौकिक शक्ति पर विश्वास था। अत: जब सत्यवती वन जाने लगी तो उनके साथ उनकी दोनों कार्ये भी चली गयीं। वेदव्यास जी ने द्रौपदी के पूर्वजन्म की कथा द्रुपद को यथावत दिखलायी, जिससे वे उनके परम भक्त बन गये। वेदव्यास जी ने अपनी अलौकिक शक्ति से धृतराष्ट्र को यह सचेत करते हुये फटकार लगायी कि तुम अपने पुत्रो को रोकों, अन्यथा समस्त कुल का नाश होगा।

उन्होंने कौरव पुत्रों की मृत्यु के रहस्य को भी समय से पहले ही बता दिया था। यह भी कहा जाता है कि जब महाभारत के सोलह वर्षों बाद तपस्यारत धृतराष्ट्र अपने मृत पुत्रों, परिजनों, सम्बन्धियो का शोक नहीं भूल पाये और जब युधिष्ठिर भी सपरिवार वन पहुँचें, तो उनकी इच्छानुसार व्यास जी ने महान तपस्या शक्ति से गंगाजल में उतरकर मृतात्माओं का आवाहन किया। धृतराष्ट्र के सौ पुत्र, द्रौपदी के पाँच पुत्र और अन्य सम्बन्धियों को उनके पूर्व स्वरूप में लाकर उनके सामने खड़ा कर दिया। एक रात पूरी तरह से सबका मिलनोत्सव करवाया, जिसमें सबका एक-दूसरे के प्रति मनोमालिन्य और द्वेषभाव (बैरमनस्य) दूर हो गया।

महर्षि वेदव्यास जी ने 18 पुराणों की रचना की थी। जो इस प्रकार हैं-

1. ब्रह्म पुराण 2. पद्म पुराण 3. विष्णु पुराण 4. शिव पुराण 5. नारद पुराण 6. अग्नि पुराण 7. ब्रह्मवैवर्त पुराण 8. श्रीमदभागवत पुराण 6. वराह पुराण 10. स्कन्द पुराण 11. मार्कण्डेय पुराण 12. वामन पुराण 13. कूर्म पुराण 14. मत्स्य पुराण 15. गरूड़ पुराण 16. ब्रह्मण्ड पुराण 17. लिंग पुराण 18. भविष्य पुराण।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय दर्शन एवं उसके भेद का परिचय दीजिए।
  2. प्रश्न- भूगोल एवं खगोल विषयों का अन्तः सम्बन्ध बताते हुए, इसके क्रमिक विकास पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत का सभ्यता सम्बन्धी एक लम्बा इतिहास रहा है, इस सन्दर्भ में विज्ञान, गणित और चिकित्सा के क्षेत्र में प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण योगदानों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- निम्नलिखित आचार्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - 1. कौटिल्य (चाणक्य), 2. आर्यभट्ट, 3. वाराहमिहिर, 4. ब्रह्मगुप्त, 5. कालिदास, 6. धन्वन्तरि, 7. भाष्कराचार्य।
  5. प्रश्न- ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र का संक्षिप्त परिचय देते हुए दोनों शास्त्रों के परस्पर सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- 'योग' के शाब्दिक अर्थ को स्पष्ट करते हुए, योग सम्बन्धी प्राचीन परिभाषाओं पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- 'आयुर्वेद' पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  8. प्रश्न- कौटिलीय अर्थशास्त्र लोक-व्यवहार, राजनीति तथा दण्ड-विधान सम्बन्धी ज्ञान का व्यावहारिक चित्रण है, स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- प्राचीन भारतीय संगीत के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  10. प्रश्न- आस्तिक एवं नास्तिक भारतीय दर्शनों के नाम लिखिये।
  11. प्रश्न- भारतीय षड् दर्शनों के नाम व उनके प्रवर्तक आचार्यों के नाम लिखिये।
  12. प्रश्न- मानचित्र कला के विकास में योगदान देने वाले प्राचीन भूगोलवेत्ताओं के नाम बताइये।
  13. प्रश्न- भूगोल एवं खगोल शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ मिलता है?
  14. प्रश्न- ऋतुओं का सर्वप्रथम ज्ञान कहाँ से प्राप्त होता है?
  15. प्रश्न- पौराणिक युग में भारतीय विद्वान ने विश्व को सात द्वीपों में विभाजित किया था, जिनका वास्तविक स्थान क्या है?
  16. प्रश्न- न्यूटन से कई शताब्दी पूर्व किसने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त बताया?
  17. प्रश्न- प्राचीन भारतीय गणितज्ञ कौन हैं, जिसने रेखागणित सम्बन्धी सिद्धान्तों को प्रतिपादित किया?
  18. प्रश्न- गणित के त्रिकोणमिति (Trigonometry) के सिद्धान्त सूत्र को प्रतिपादित करने वाले प्रथम गणितज्ञ का नाम बताइये।
  19. प्रश्न- 'गणित सार संग्रह' के लेखक कौन हैं?
  20. प्रश्न- 'गणित कौमुदी' तथा 'बीजगणित वातांश' ग्रन्थों के लेखक कौन हैं?
  21. प्रश्न- 'ज्योतिष के स्वरूप का संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए।
  22. प्रश्न- वास्तुशास्त्र का ज्योतिष से क्या संबंध है?
  23. प्रश्न- त्रिस्कन्ध' किसे कहा जाता है?
  24. प्रश्न- 'योगदर्शन' के प्रणेता कौन हैं? योगदर्शन के आधार ग्रन्थ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  25. प्रश्न- क्रियायोग' किसे कहते हैं?
  26. प्रश्न- 'अष्टाङ्ग योग' क्या है? संक्षेप में बताइये।
  27. प्रश्न- 'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- आयुर्वेद का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  29. प्रश्न- आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों के नाम बताइये।
  30. प्रश्न- 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' का सामान्य परिचय दीजिए।
  31. प्रश्न- काव्य क्या है? अर्थात् काव्य की परिभाषा लिखिये।
  32. प्रश्न- काव्य का ऐतिहासिक परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- संस्कृत व्याकरण का इतिहास क्या है?
  34. प्रश्न- संस्कृत शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? एवं संस्कृत व्याकरण के ग्रन्थ और उनके रचनाकारों के नाम बताइये।
  35. प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- कालिदास से पूर्वकाल में संस्कृत काव्य के विकास पर लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्यगत विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- महाकवि कालिदास के पश्चात् होने वाले संस्कृत काव्य के विकास की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त परिचय देते हुए यह भी बताइये कि उन्होंने रामायण की रचना कब की थी?
  42. प्रश्न- क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि माघ में उपमा का सौन्दर्य, अर्थगौरव का वैशिष्ट्य तथा पदलालित्य का चमत्कार विद्यमान है?
  43. प्रश्न- महर्षि वेदव्यास के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए, उनकी कृतियों के नाम बताइये।
  44. प्रश्न- आचार्य पाणिनि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  45. प्रश्न- आचार्य पाणिनि ने व्याकरण को किस प्रकार तथा क्यों व्यवस्थित किया?
  46. प्रश्न- आचार्य कात्यायन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  47. प्रश्न- आचार्य पतञ्जलि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  48. प्रश्न- आदिकवि महर्षि बाल्मीकि विरचित आदि काव्य रामायण का परिचय दीजिए।
  49. प्रश्न- श्री हर्ष की अलंकार छन्द योजना का निरूपण कर नैषधं विद्ध दोषधम् की समीक्षा कीजिए।
  50. प्रश्न- महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत का परिचय दीजिए।
  51. प्रश्न- महाभारत के रचयिता का संक्षिप्त परिचय देकर रचनाकाल बतलाइये।
  52. प्रश्न- महाकवि भारवि के व्यक्तित्व एवं कर्त्तव्य पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- महाकवि हर्ष का परिचय लिखिए।
  54. प्रश्न- महाकवि भारवि की भाषा शैली अलंकार एवं छन्दों योजना पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- 'भारवेर्थगौरवम्' की समीक्षा कीजिए।
  56. प्रश्न- रामायण के रचयिता कौन थे तथा उन्होंने इसकी रचना क्यों की?
  57. प्रश्न- रामायण का मुख्य रस क्या है?
  58. प्रश्न- वाल्मीकि रामायण में कितने काण्ड हैं? प्रत्येक काण्ड का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- "रामायण एक आर्दश काव्य है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  60. प्रश्न- क्या महाभारत काव्य है?
  61. प्रश्न- महाभारत का मुख्य रस क्या है?
  62. प्रश्न- क्या महाभारत विश्वसाहित्य का विशालतम ग्रन्थ है?
  63. प्रश्न- 'वृहत्त्रयी' से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- भारवि का 'आतपत्र भारवि' नाम क्यों पड़ा?
  65. प्रश्न- 'शठे शाठ्यं समाचरेत्' तथा 'आर्जवं कुटिलेषु न नीति:' भारवि के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  66. प्रश्न- 'महाकवि माघ चित्रकाव्य लिखने में सिद्धहस्त थे' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  67. प्रश्न- 'महाकवि माघ भक्तकवि है' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  68. प्रश्न- श्री हर्ष कौन थे?
  69. प्रश्न- श्री हर्ष की रचनाओं का परिचय दीजिए।
  70. प्रश्न- 'श्री हर्ष कवि से बढ़कर दार्शनिक थे।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  71. प्रश्न- श्री हर्ष की 'परिहास-प्रियता' का एक उदाहरण दीजिये।
  72. प्रश्न- नैषध महाकाव्य में प्रमुख रस क्या है?
  73. प्रश्न- "श्री हर्ष वैदर्भी रीति के कवि हैं" इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  74. प्रश्न- 'काश्यां मरणान्मुक्तिः' श्री हर्ष ने इस कथन का समर्थन किया है। उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  75. प्रश्न- 'नैषध विद्वदौषधम्' यह कथन किससे सम्बध्य है तथा इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  76. प्रश्न- 'त्रिमुनि' किसे कहते हैं? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- महाकवि भारवि का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी काव्य प्रतिभा का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- भारवि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का संक्षिप्त कथानक प्रस्तुत कीजिए।
  80. प्रश्न- 'भारवेरर्थगौरवम्' पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  81. प्रश्न- भारवि के महाकाव्य का नामोल्लेख करते हुए उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की कथावस्तु एवं चरित्र-चित्रण पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की रस योजना पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
  85. प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
  86. प्रश्न- 'वरं विरोधोऽपि समं महात्माभिः' सूक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
  87. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए ।
  88. प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
  89. प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि कालिदास संस्कृत के श्रेष्ठतम कवि हैं।
  92. प्रश्न- उपमा अलंकार के लिए कौन सा कवि प्रसिद्ध है।
  93. प्रश्न- अपनी पाठ्य-पुस्तक में विद्यमान 'कुमारसम्भव' का कथासार प्रस्तुत कीजिए।
  94. प्रश्न- कालिदास की भाषा की समीक्षा कीजिए।
  95. प्रश्न- कालिदास की रसयोजना पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- कालिदास की सौन्दर्य योजना पर प्रकाश डालिए।
  97. प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य' की समीक्षा कीजिए।
  98. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -
  99. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि के जीवन-परिचय पर प्रकाश डालिए।
  100. प्रश्न- 'नीतिशतक' में लोकव्यवहार की शिक्षा किस प्रकार दी गयी है? लिखिए।
  101. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की कृतियों पर प्रकाश डालिए।
  102. प्रश्न- भर्तृहरि ने कितने शतकों की रचना की? उनका वर्ण्य विषय क्या है?
  103. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- नीतिशतक का मूल्यांकन कीजिए।
  105. प्रश्न- धीर पुरुष एवं छुद्र पुरुष के लिए भर्तृहरि ने किन उपमाओं का प्रयोग किया है। उनकी सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
  106. प्रश्न- विद्या प्रशंसा सम्बन्धी नीतिशतकम् श्लोकों का उदाहरण देते हुए विद्या के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  107. प्रश्न- भर्तृहरि की काव्य रचना का प्रयोजन की विवेचना कीजिए।
  108. प्रश्न- भर्तृहरि के काव्य सौष्ठव पर एक निबन्ध लिखिए।
  109. प्रश्न- 'लघुसिद्धान्तकौमुदी' का विग्रह कर अर्थ बतलाइये।
  110. प्रश्न- 'संज्ञा प्रकरण किसे कहते हैं?
  111. प्रश्न- माहेश्वर सूत्र या अक्षरसाम्नाय लिखिये।
  112. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए - इति माहेश्वराणि सूत्राणि, इत्संज्ञा, ऋरषाणां मूर्धा, हलन्त्यम् ,अदर्शनं लोपः आदि
  113. प्रश्न- सन्धि किसे कहते हैं?
  114. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
  115. प्रश्न- हल सन्धि किसे कहते हैं?
  116. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
  117. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।

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