बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत बीए सेमेस्टर-1 संस्कृतसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत
प्रश्न- महर्षि वेदव्यास के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए, उनकी कृतियों के नाम बताइये।
उत्तर-
महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हस्तिनापुर में हुआ था। उनकी माता का नाम सत्यवती एवं पिता का नाम पराशर था। वेदव्यास जी ने हमारे भारतीय ग्रन्थ जैसे कि महाभारत श्रीभगवत् गीता, अष्टाश पुराण लिखे हैं। यह कहा जाता है कि महाभारत को लिखने के लिए गणेश जी ने उनको कहा था एवं महाभारत में जितनी भी घटनायें लिखित हैं उन घटनाओं को महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी से सुन कर लिखा था। वेदव्यास जी के जीवन से जुडी ये कथा प्रचलित है।
जीवन परिचय - कहा जाता है कि कोई (अज्ञात) राजा वन में शिकार खेलने के लिए गया था, और वहाँ यह एक बगुले का शिकार कर रहा था। यह शिकार (बगुले) को वह अपनी पत्नी को उपहार में देना चाहता था, उसी समय उसकी पत्नी का समाचार आया की मैं आपसे मिलना चाहती राजा ने एक दोनों में वीर्य निकाल कर पक्षी के द्वारा उस दोने को अपनी रानी के पास भिजवा दिया था। परन्तु वह पक्षी जब उड़ रहा था, तभी एक दूसरा पक्षी उसके सामने आ गया और दोनों पक्षियों में लड़ाई होने लगी जिस कारण वह राजा का दिया हुआ दोना एक समुद्र में जा गिरा। जब वह दोना समुद्र में गिरा तब वहाँ ब्रह्मा जी द्वारा श्रापित एक मछली मौजूद थी, उसने उस दोने के वीर्य को पी लिया, तद्पश्चात् उस मछली ने एक पुत्र एवं पुत्री को जन्म दिया। पुत्र को तो राजा अपने साथ ले गया परन्तु पुत्री को वहीं छोड़ गया। अतः उस पुत्री को एक नाविक ने अपने घर पर रख लिया जिसका नाम सत्यवती रखा। मछली के गर्भ से उत्पन्न होने के कारण उससे (मछलाइन्द) दुर्गन्ध आती थी। सत्यवती भी बड़ी होकर नाव चलाने का काम करने लगी।
एक बार सत्यवती की नाद में (पराशर) महर्षि नदी पार करने के लिए आये सत्यवती को देखकर महर्षि ने उससे संभोग करने की इच्छा व्यक्त की, परन्तु सत्यवती ने उनसे कहा कि मैं नाव चलाने वाली हूँ, मेरे शरीर से दुर्गन्ध आती है तथा मैं लज्जाशील हूँ। महर्षि ने कहा- मैं इसका निवारण कर दूँगा। उन्होंने नाव के चारों ओर धुन्ध छाया कर दी तथा सत्यवती के शरीर से आने वाली दुर्गन्ध को सुगन्ध में परिवर्तित कर दिया एवं यह वचन भी दिया कि तुम मेरे साथ संभोग करने के पश्चात् भी कुमारी ही रहोगी। इस प्रकार सत्यवती एवं महर्षि पराशर के समागम से जो पुत्र उत्पन्न हुआ वही वेदव्यास जी थे। महर्षि पराशर सत्यवती को वरदान देकर गये कि तुम्हारे गर्भ से उत्पन्न होने वाली सन्तान अत्यधिक बुद्धिमान एवं त्रिकालदर्शी होगी।
कुछ समयान्तर सत्यवती के गर्भ से एक अद्भुत तेजस्वी पुत्र उत्पन्न हुआ। कुछ ही समय के पश्चात् इस पुत्र ने अपनी माँ से कहा "मैं पर्वतों में जा रहा हूँ वहाँ में तपस्या कर ज्ञान अर्जित करना चाहता हूँ, आपको जब भी मेरी आवश्यकता हो आप मेरा स्मरण करना मैं आपकी सेवा में प्रस्तुत हो जाऊँगा।' इस प्रकार वेदव्यास ने अल्पायु से तप कर तीनो लोको का ज्ञान प्राप्त किया तथा विशिष्ट शक्तियाँ भी प्राप्त की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उनसे कई ग्रन्थ लिखवाये।
महर्षि वेदव्यास का चमत्कारिक परिचय - श्री वेदव्यास जी ईश्वर के अंशावतार माने जाते हैं। उनका जन्म द्वीप में हुआ था, अतः उनका नाम द्वैपायन पड़ा। उनका शरीर श्याम वर्ण था इसलिए कुछ लोग उन्हें बचपन में कृष्ण द्वैपायन भी कहते थे। वेदों का विभाजन करने के कारण उन्हें वेदव्यास कहा जाने लगा। बद्रीवन में निवास करने के कारण बादरायण भी कहलाये।
महर्षि वेदव्यास ने अपनी माता सत्यवती को यह वचन दिया था कि, उन्हें (माता को) जब भी बड़ा संकट होगा, वे उन्हे स्मरण करेगी तो वे उनके समक्ष उपस्थित हो जायेंगे। अतः सत्यवती के सामने जब अपने कुछ और वंश के उत्तराधिकार की रक्षा का भार आ खड़ा हुआ था तब माता सत्यवती ने विचित्रवीर की विधवा रानी अम्बिका और छोटी रानी अम्बालिका को वेदव्यास से नियोग द्वारा पुत्र उत्पन्न करने हेतु तैयार किया। व्यास जी ने माँ से कहा- "सन्तान प्राप्ति के लिए मेरे समक्ष आने वाली रानियाँ मेरे समक्ष सहज रह पायेंगी? मेरा शरीर तप के कारण अत्यन्त काला एवं दुर्गन्ध युक्त है तथा मेरी जटायें अत्यन्त उलझी हुई हैं, यदि रानियाँ सहज ही मेरे समक्ष उपस्थित न हुयीं तो उसका परिणाम अत्यन्त दुष्कर होगा सहज रहने वाले को ही योग्य सन्तान प्राप्त होगी।
बड़ी रानी को माँ के समझाने के बाद भी वह उनके रूप-रंग, गन्ध को देखकर इतनी भयभीत हुईं कि उसने आँखें बन्दकर लीं। व्यास जी ने माता सत्यवती से कहा, "बलवान, विद्वान होने पर भी उत्पन्न होने वाला पुत्र अन्धा होगा। व्यास जी की भविष्यवाणी सत्य साबित हुयी। बड़ी रानी अम्बिका ने धृतराष्ट्र को जन्म दिया तथा दूसरी छोटी रानी अम्बालिका को समझाकर व्यास जी के समक्ष भेजा गया. उसने व्यास जी को देखकर आँखे तो बन्द नहीं की परन्तु उनका रंग-रूप देखकर उसका रंग पीला पड़ गया। व्यास जी ने फिर भविष्यवाणी की कि इसका पुत्र पायवर्ण का होगा। समय अपने पर अम्बालिका ने पाण्डु को जन्म दिया जो अल्पायु थे। दोनों पुत्रों को दोषयुक्त होने के कारण सत्यवती ने तीसरे पुत्र की कामना से एक दासी को वेदव्यास के समक्ष भेजा। दासी ने प्रसन्नतापूर्वक वेदव्यास जी की सेवा की तथा प्रसन्नतापूर्वक समागम किया जिसके परिणामस्वरूप विद्वान, धर्मात्मा पुत्र विदुर का जन्म हुआ। गांधारी के सौ पुत्रो को जन्म देने के पीछे का रहस्य वेदव्यास जी को ही मालूम था।
महार्षि वेदव्यास की भविष्यवाणी एवं आलौकिक शक्तियाँ - पाण्डु की मृत्यु के बाद श्राद्ध के समय वेदव्यास जी ने माता सत्यवती के सामने यह भविष्यवाणी की कि सुख का समय समाप्त हो गया है। कौरवों के सहार को तुम देख न पाओगी। अतः तुम वन चली जाओ। सत्यवती को अपने पुत्र व्यास की अलौकिक शक्ति पर विश्वास था। अत: जब सत्यवती वन जाने लगी तो उनके साथ उनकी दोनों कार्ये भी चली गयीं। वेदव्यास जी ने द्रौपदी के पूर्वजन्म की कथा द्रुपद को यथावत दिखलायी, जिससे वे उनके परम भक्त बन गये। वेदव्यास जी ने अपनी अलौकिक शक्ति से धृतराष्ट्र को यह सचेत करते हुये फटकार लगायी कि तुम अपने पुत्रो को रोकों, अन्यथा समस्त कुल का नाश होगा।
उन्होंने कौरव पुत्रों की मृत्यु के रहस्य को भी समय से पहले ही बता दिया था। यह भी कहा जाता है कि जब महाभारत के सोलह वर्षों बाद तपस्यारत धृतराष्ट्र अपने मृत पुत्रों, परिजनों, सम्बन्धियो का शोक नहीं भूल पाये और जब युधिष्ठिर भी सपरिवार वन पहुँचें, तो उनकी इच्छानुसार व्यास जी ने महान तपस्या शक्ति से गंगाजल में उतरकर मृतात्माओं का आवाहन किया। धृतराष्ट्र के सौ पुत्र, द्रौपदी के पाँच पुत्र और अन्य सम्बन्धियों को उनके पूर्व स्वरूप में लाकर उनके सामने खड़ा कर दिया। एक रात पूरी तरह से सबका मिलनोत्सव करवाया, जिसमें सबका एक-दूसरे के प्रति मनोमालिन्य और द्वेषभाव (बैरमनस्य) दूर हो गया।
महर्षि वेदव्यास जी ने 18 पुराणों की रचना की थी। जो इस प्रकार हैं-
1. ब्रह्म पुराण 2. पद्म पुराण 3. विष्णु पुराण 4. शिव पुराण 5. नारद पुराण 6. अग्नि पुराण 7. ब्रह्मवैवर्त पुराण 8. श्रीमदभागवत पुराण 6. वराह पुराण 10. स्कन्द पुराण 11. मार्कण्डेय पुराण 12. वामन पुराण 13. कूर्म पुराण 14. मत्स्य पुराण 15. गरूड़ पुराण 16. ब्रह्मण्ड पुराण 17. लिंग पुराण 18. भविष्य पुराण।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन एवं उसके भेद का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र का संक्षिप्त परिचय देते हुए दोनों शास्त्रों के परस्पर सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- कौटिलीय अर्थशास्त्र लोक-व्यवहार, राजनीति तथा दण्ड-विधान सम्बन्धी ज्ञान का व्यावहारिक चित्रण है, स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- "श्री हर्ष वैदर्भी रीति के कवि हैं" इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
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- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की कथावस्तु एवं चरित्र-चित्रण पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'वरं विरोधोऽपि समं महात्माभिः' सूक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -
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- प्रश्न- भर्तृहरि की काव्य रचना का प्रयोजन की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए - इति माहेश्वराणि सूत्राणि, इत्संज्ञा, ऋरषाणां मूर्धा, हलन्त्यम् ,अदर्शनं लोपः आदि
- प्रश्न- सन्धि किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हल सन्धि किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।